Rig Veda
Friday, 2 March 2012
Rig Veda Book 1 Hymn 191
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कङकतो न कङकतो.अथो सतीनकङकतः | दवाविति पलुषी इति नयद्र्ष्ट अलिप्सत || अद्र्ष्टान हन्त्यायत्यथो हन्ति परायती | अथो अवघ्नती हन्त्यथो पिनष्ट...
Rig Veda Book 1 Hymn 190
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अनर्वाणं वर्षभं मन्द्रजिह्वं बर्हस्पतिं वर्धया नव्यमर्कैः | गाथान्यः सुरुचो यस्य देवा आश्र्ण्वन्ति नवमानस्य मर्ताः || तं रत्विया उप वाचः ...
Rig Veda Book 1 Hymn 189
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अग्ने नय सुपथा राये अस्मान विश्वानि देव वयुनानि विद्वान | युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनो भूयिष्ठां ते नमौक्तिंविधेम || अग्ने तवं पारया नव्यो अस...
Rig Veda Book 1 Hymn 188
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समिद्धो अद्य राजसि देवो देवैः सहस्रजित | दूतो हव्या कविर्वह || तनुनपाद रतं यते मध्वा यज्ञः समज्यते | दधत सहस्रिणीरिषः || आजुह्वानो न ईड...
Rig Veda Book 1 Hymn 187
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पितुं नु सतोषं महो धर्माणं तविषीम | यस्य तरितो वयोजसा वर्त्रं विपर्वमर्दयत || सवादो पितो मधो पितो वयं तवा वव्र्महे | अस्माकमविता भव || ...
Rig Veda Book 1 Hymn 186
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आ न इळभिर्विदथे सुशस्ति विश्वानरः सविता देव एतु | अपि यथा युवानो मत्सथा नो विश्वं जगदभिपित्वे मनीषा || आ नो विश्व आस्क्रा गमन्तु देवा मित...
Rig Veda Book 1 Hymn 185
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कतरा पूर्वा कतरापरायोः कथा जाते कवयः को वि वेद | विश्वं तमना बिभ्र्तो यद ध नाम वि वर्तेते अहनी चक्रियेव || भूरिं दवे अचरन्ती चरन्तं पद्वन...
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