Wednesday, 8 February 2012

Rig Veda Book 1 Hymn 29

यच्चिद धि सत्य सोमपा अनाशस्ता इव समसि |
आ तू न इन्द्र शंसय गोष्वश्वेषु सुभ्रिषु सहस्रेषु तुवीमघ ||
शिप्रिन वाजानां पते शचीवस्तव दंसना |
आ ... ||
नि षवापया मिथूद्र्शा सस्तामबुध्यमाने |
आ ... ||
ससन्तु तया अरातयो बोधन्तु शूर रातयः |
आ ... ||
समिन्द्र गर्दभं मर्ण नुवन्तं पापयामुया |
आ ... ||
पताति कुण्ड्र्णाच्या दूरं वातो वनादधि |
आ ... ||
सर्वं परिक्रोशं जहि जम्भया कर्कदाश्वम |
आ ... ||

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