सं पूषन्नध्वनस्तिर वयंहो विमुचो नपात |
सक्ष्वा देवप्र णस पुरः ||
यो नः पूषन्नघो वर्को दुःशेव आदिदेशति |
अप सम तम्पथो जहि ||
अप तयं परिपन्थिनं मुषीवाणं हुरश्चितम |
दूरमधिस्रुतेरज ||
तवं तस्य दवयाविनो.अघशंसस्य कस्य चित |
पदाभि तिष्ठ तपुषिम ||
आ तत ते दस्र मन्तुमः पूषन्नवो वर्णीमहे |
येन पितॄनचोदयः ||
अधा नो विश्वसौभग हिरण्यवाशीमत्तम |
धनानि सुषणा कर्धि ||
अति नः सश्चतो नय सुगा नः सुपथा कर्णु |
पूषन्निहक्रतुं विदः ||
अभि सूयवसं नय न नवज्वारो अध्वने |
पू... ||
शग्धि पूर्धि पर यंसि च शिशीहि परास्युदरम |
पू... ||
न पूषणं मेथामसि सूक्तैरभि गर्णीमसि |
वसूनि दस्ममीमहे ||
सक्ष्वा देवप्र णस पुरः ||
यो नः पूषन्नघो वर्को दुःशेव आदिदेशति |
अप सम तम्पथो जहि ||
अप तयं परिपन्थिनं मुषीवाणं हुरश्चितम |
दूरमधिस्रुतेरज ||
तवं तस्य दवयाविनो.अघशंसस्य कस्य चित |
पदाभि तिष्ठ तपुषिम ||
आ तत ते दस्र मन्तुमः पूषन्नवो वर्णीमहे |
येन पितॄनचोदयः ||
अधा नो विश्वसौभग हिरण्यवाशीमत्तम |
धनानि सुषणा कर्धि ||
अति नः सश्चतो नय सुगा नः सुपथा कर्णु |
पूषन्निहक्रतुं विदः ||
अभि सूयवसं नय न नवज्वारो अध्वने |
पू... ||
शग्धि पूर्धि पर यंसि च शिशीहि परास्युदरम |
पू... ||
न पूषणं मेथामसि सूक्तैरभि गर्णीमसि |
वसूनि दस्ममीमहे ||
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